बेच दिया!
बेच दिया!
दिनकर खुशहालपुर में बरसो से रह रहा था| खेती करता और अपना गुज़ारा करता|छोटा सा मकान और थोडे पैसे बचाए थे| बारिश कम होने की वजह से साल में एक ही फसल हो पाती थी| वैसे उसके गांव का नाम तो था खुशालपुर लेकिन वहा खुशहाल कोई नहीं था| गांव के सभी रहने वाले बहुत मेहनत करते लेकिन फिर भी दो पैसे बचा ना पाते| दिनकर भी बड़ा मेहनती था| गांव के लोग परेशान रहते और मुश्कुरानातो जैसे भूल ही गए हो| सबको गहरी चिंता ने गेर रखा था| गांव में सिर्फ एक आदमी था जिसकी स्तिथि गांव के नाम अनुसार थी| उसका नाम था दानेश्वर| बड़े महल जैसे मकान में रहता| बहुत सारी ज़मीने और सम्पतियो का मालिक था| गांव में वो एक ही था जो ख़ुश दिखता था| जिसके घर में और ज़िन्दगी में चिंता का आना जाना नहीं था|
दिनकर जब भी उसको देखता तो उसे बड़ा आश्र्चर्य होता और प्रश्न होता की ऐसा दानेश्वर जीने क्या किया है जो इतने ख़ुश रहते है? उनके पास इतनी दौलत कैसे है? मेहनत तो गांव के सभी लोग उनसे भी ज़्यादा करते है फिर भी वो कंगाल के कंगाल ही है!
दिनकर के दादाजी बड़े ज्ञानी इंसान थे| दिनकर उनके पास गया और अपने प्रश्न रखे!
" उसने बेच दिया है!" दादाजी मुश्कुराते हुए बोले
" ऐसा क्या बेच दिया है हो इतने कम वक़्त में इतनी सम्पति हो गयी| ऐसा क्या बेच दिया जो कंगाल राजा बन गया?" दिनकर बड़ी आतुरता से बोला
"ज़मीर, बेटा उसने अपना ज़मीर बेच दिया है !" दादाजी बोले
दादाजी उत्तर सुन दिनकर सब समझ गया और रोज़ की तरह खेतो में चला गया लेकिन उस दिन के बाद ना तो दानेश्वर को देखकर उसे आचार्य होता ना तो कोई प्रश्न होता!
दिनांक:-2 मे 2019
नाम:- बुरहान
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